जागो देशवासियों - जगाओ जन जन को - - -
*कुछ मित्रों ने अभी से नव वर्ष की अग्रिम शुभकामना की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दिया है।
*इस परिप्रेक्ष्य मे मैं कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ
*अपना नववर्ष विक्रम संवत 2077 , चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 25 मार्च 2020 से प्रारंभ होगा
*01 जनवरी के संदर्भ में
_*ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
_*है अपना ये त्यौहार नहीं
_*है अपनी ये तो रीत नहीं
_*है अपना ये व्यवहार नहीं
_*धरा ठिठुरती है सर्दी से
_*आकाश में कोहरा गहरा है
_*बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
_*सर्द हवा का पहरा है
_*सूना है प्रकृति का आँगन
_*कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं
_*हर कोई है घर में दुबका हुआ
_*नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं
_*चंद मास अभी इंतज़ार करो
_*निज मन में तनिक विचार करो
_*नये साल नया कुछ हो तो सही
_*क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही
_*उल्लास मंद है जन -मन का
_*आयी है अभी बहार नहीं
_*ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
_*है अपना ये त्यौहार नहीं1
_*ये धुंध कुहासा छंटने दो1
_*रातों का राज्य सिमटने दो
_*प्रकृति का रूप निखरने दो
_*फागुन का रंग बिखरने दो
_*प्रकृति दुल्हन का रूप धार
_*जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
_*शस्य – श्यामला धरती माता1
_*घर -घर खुशहाली लायेगी
_*तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जायेगा
युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध
नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध
आर्यों की कीर्ति सदा -सदा
नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
अनमोल विरासत के धनिकों को
चाहिये कोई उधार नहीं*_
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
_*है अपनी ये तो रीत नहीं*_
है अपना ये त्यौहार नहीं
जागो देशवासियों - जगाओ जन जन को - - - -
*इस परिप्रेक्ष्य मे मैं कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ
*अपना नववर्ष विक्रम संवत 2077 , चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 25 मार्च 2020 से प्रारंभ होगा
*01 जनवरी के संदर्भ में
_*ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
_*है अपना ये त्यौहार नहीं
_*है अपनी ये तो रीत नहीं
_*है अपना ये व्यवहार नहीं
_*धरा ठिठुरती है सर्दी से
_*आकाश में कोहरा गहरा है
_*बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
_*सर्द हवा का पहरा है
_*सूना है प्रकृति का आँगन
_*कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं
_*हर कोई है घर में दुबका हुआ
_*नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं
_*चंद मास अभी इंतज़ार करो
_*निज मन में तनिक विचार करो
_*नये साल नया कुछ हो तो सही
_*क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही
_*उल्लास मंद है जन -मन का
_*आयी है अभी बहार नहीं
_*ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
_*है अपना ये त्यौहार नहीं1
_*ये धुंध कुहासा छंटने दो1
_*रातों का राज्य सिमटने दो
_*प्रकृति का रूप निखरने दो
_*फागुन का रंग बिखरने दो
_*प्रकृति दुल्हन का रूप धार
_*जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
_*शस्य – श्यामला धरती माता1
_*घर -घर खुशहाली लायेगी
_*तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जायेगा
युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध
नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध
आर्यों की कीर्ति सदा -सदा
नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
अनमोल विरासत के धनिकों को
चाहिये कोई उधार नहीं*_
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
_*है अपनी ये तो रीत नहीं*_
है अपना ये त्यौहार नहीं
जागो देशवासियों - जगाओ जन जन को - - - -
Nice
जवाब देंहटाएंThanks ji
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